03 January 2016

जन्म लग्न के अनुसार रुद्राक्ष धारण

जन्म लग्न के अनुसार रुद्राक्ष धारण
भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रत्न धरण करने
के लिए जन्म लग्न का उपयोग सर्वाधिक प्रचलित है ।
रत्न प्रकृति का एक अनुपम उपहार है। आदि काल से
ग्रह दोषों तथा अन्य समस्याओं से मुक्ति हेतु
रत्न धारण करने की परंपरा है।आपकी कुंडली के
अनुरूप सही और दोषमुक्त रत्न धारण
करना फलदायी होता है। अन्यथा उपयोग करने पर यह
नुकसानदेह भी हो सकता है। वर्तमान समय में शुद्ध
एवं दोषमुक्त रत्न बहुत कीमती हो गए हैं, जिससे वे
जनसाधारण की पहुंच के बाहर हो गए हैं। अतः विकल्प
के रूप में रुद्राक्ष धारण एक सरल एवं सस्ता उपाय
है। साथ ही रुद्राक्ष धारण से कोई नुकसान
भी नहीं है, बल्कि यह किसी न किसी रूप में जातक
को लाभ ही प्रदान करता है। क्योंकि रुद्राक्ष पर
ग्रहों के साथ साथ देवताओं का वास माना जाता है।
कुंडली में त्रिकोण अर्थात लग्न, पंचम एवं नवम भाव
सर्वाधिक बलशाली माना गया है। लग्न अर्थात जीवन,
आयुष्य एवं आरोग्य, पंचम अर्थात बल, बुद्धि,
विद्या एवं प्रसिद्धि, नवम अर्थात भाग्य एवं धर्म।
अतः लग्न के अनुसार कुंडली के त्रिकोण भाव के
स्वामी ग्रह कभी अशुभ फल नहीं देते, अशुभ स्थान पर
रहने पर भी मदद ही करते हैं । इसलिए इनके रुद्राक्ष
धारण करना सर्वाधिक शुभ है। इस संदर्भ में एक
संक्षिप्त विवरण यहां तालिका में प्रस्तुत है।
हमने कई बार देखा है कि कुंडली में शुभ-योग मौजूद
होने के बावजूद उन योगों से संबंधित ग्रहों के रत्न
धारण करना लग्नानुसार अशुभ होता है। उदाहरण के रूप
में मकर लग्न में सूर्य अष्टमेश हो, तो अशुभ और
चंद्र सप्तमेश हो, तो मारक होता है। मंगल चतुर्थेष-
एकादषेष होने पर भी लग्नेष शनि का शत्रु होने के
कारण अशुभ नहीं होता। गुरु तृतीयेश-व्ययेश होने के
कारण अत्यंत अशुभ होता है। ऐसे में मकर लग्न के
जातकों के लिए माणिक्य, मोती, मूंगा और पुखराज
धारण करना अशुभ है। परंतु यदि मकर लग्न
की कुंडली में बुधादित्य ,गजकेसरी,
लक्ष्मी जैसा शुभ योग हो और वह सूर्य, चंद्र, मंगल
या गुरु से संबंधित हो, तो इन योगों के शुभाशुभ
प्रभाव में वृद्धि हेतु इन ग्रहों से संबंधित
रुद्राक्ष धारण करना चाहिए, अर्थात गजकेसरी योग
के लिए दो और पांच मुखी, लक्ष्मी योग के लिए
दो और तीन मुखी और बुधादित्य योग के लिए चार और
एक मुखी रुद्राक्ष।रुद्राक्ष ग्रहों के शुभफल सदैव
देते हैं परंतु अशुभफल नहीं देते।
लग्न त्रिकोणाधिपति ग्रह लाभकारी रुद्राक्ष
मेष मंगल-सूर्य-गुरु ३ मुखी + 1 या १२ मुखी + ५ मुखी
वृषश् शुक्र-बुध-षनि ६ या १३ मुखी + ४ मुखी + ७
या १४ मुखी
मिथुन बुध-षुक्र-षनि ४ मुखी + ६ या १३ मुखी + ७
या १४ मुखी
कर्क चंद्र-मंगल-गुरु २ मुखी + ३ मुखी + ५ मुखी
सिंह सूर्य-गुरु-मंगल 1 या १२ मुखी + ५ मुखी + ६
मुखी
कन्या बुध-षनि-षुक्र ४ मुखी + ७ या १४ मुखी + ६
या १३ मुखी
तुला शुक्र-षनि-बुध ६ या १३ मुखी + ७ या १४ मुखी + ४
मुखी
वृष्चिक मंगल-गुरु-चंद्र ३ मुखी + ५ मुखी + २ मुखी
धनु गुरु-मंगल-सिंह ५ मुखी + ३ मुखी + 1 या १२ मुखी
मकर शनि-षुक्र-बुध ७ या १४ मुखी + ६ या १३ मुखी + ४
मुखी
कुंभ शनि-बुध-षुक्र ७ या १४ मुखी + ४ मुखी + ६ या १३
मुखी
मीन गुरु-चंद्र-मंगल ५ मुखी + २ मुखी + ३ मुखी ::::संपर्क :09009371152

1 comment:

  1. Sir 4, 6,7 मूखी रूद्राक्ष माला , ईंद्राक्षी ,माला मेरी धर्मपत्नि जी के लिये चाहीये।

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