10 May 2016

जानकारी

प्रिय मित्रो,
      रुद्राक्ष से आपके सभी समस्याओ का समाधान होता है। समस्याओ का समाधान याने आपकी मदत(help)
   ये नही की आप किसी रोग के निवारण के लिए रुद्राक्ष धारण किये है और रोग ठीक हो जाये ।
     रुद्राक्ष तो सहायक है ।याने जिस रोग को ठीक करने के लिए आप दवा खा रहे है उसके बाद भी रोग ठीक नही हो रहे है तो रुद्राक्ष धारण करने के बाद  आप फिर से दवा खायेंगे तो आपके रोग जल्दी ठीक हो जायेगा ।
ये नही की आप रुद्राक्ष धारण करने के बाद दवा ही न ले और सोचे की रुद्राक्ष से ही सब ठीक हो जाये
  ऐसे नही होता मित्रो
  धन्यवाद
          आपका अपना निखिल :9009371152


सिद्ध रुद्राक्ष माला

A real Rudraksha Japa Mala made up of Indonesian five Mukhi Rudraksha. As five Mukhi Rudraksha is representative of Lord Shiva. Performing Jap with five Mukhi Rudraksha Japa Mala is very fruitful and it fulfills the desires. Generally it is used with Shiv mantras. Praying with this Japa Mala offers peace in the mind of the prayerer and make the whole mind religious.
Besides being used as a Japa Mala, the Rudraksha Mala can also be used to wear as it helps in controlling high blood pressure and stabilizes the mind.
Mala of five Mukhi beads in thread knotted in traditional style, and tassel. .....1200₹

27 March 2016

शिव को प्रिय रुद्राक्ष

भगवान भोलेनाथ जी को रुद्राक्ष अत्यंत प्रिय है। रुद्राक्ष में भी एकमुखी रुद्राक्ष का अत्यधिक महत्व है। यह इतना प्रभावशाली होता है कि जिस व्यक्ति के पास एकमुखी रुद्राक्ष होता है उसे शिव के समान समस्त शक्तियां प्राप्त हो जाती हैं। रुद्राक्ष एक अमूल्य मोती है जिसे धारण करके या जिसका उपयोग करके व्यक्ति अमोघ फलों को प्राप्त करता है। भगवान शिव का स्वरूप रुद्राक्ष जीवन को सार्थक कर देता है इसे अपनाकर सभी कल्याणमय जीवन को प्राप्त करते हैं।
भगवान शिव का आशीर्वाद
रुद्राक्ष का अर्थ है रूद्र का अक्ष अर्थात शिव के आंसू अर्थात रुद्राक्ष शिव स्वरूप ही है। रुद्राक्ष मानव के लिये अपने अंतर्मन में गहराईयों तक जाने का स्रोत है। इसे पृथ्वी व स्वर्ग के बीच का सेतु माना जाता है। भारत के प्राचीन ग्रंथों व पुराणों में रुद्राक्ष का वर्णन बखूबी मिलता है जैसे कि शिवमहापुराण, निर्णयसिंधु, लिंगपुराण, पद्मपुराण, मंत्रमहार्णव, महाकाल संहिता, रुद्राक्षजाबालोपनिषद, वृहज्जाबालोपनिषद् और सर्वोल्लासतंत्र में रुद्राक्ष के बारे में बहुत कुछ लिखा गया है। एक समय भारतवर्ष में रुद्राक्ष का बहुत प्रचलन था। सभी छोटे-बड़े व्यक्ति रुद्राक्ष की माला अवश्य पहनते थे। परंतु अंग्रेजों के आने के बाद रुद्राक्ष का महत्त्व कम हो गया क्योंकि अंग्रेज लोग रुद्राक्ष पहनने वाले लोगों को असभ्य व जंगली कहते थे। धीरे-धीरे लोग भी रुद्राक्ष के गुणों को भूल कर इसका प्रयोग कम करने लगे। रुद्राक्ष दरअसल भूरे रंग के दाने होते हैं जो कि रुद्राक्ष नामक फल के बीज होते हैं। यह फल रुद्राक्ष के पेड़ पर लगता है। जीव विज्ञान में रुद्राक्ष के पेड़ को 'उतरासम बीड ट्रीÓ कहा जाता है। इसके पत्ते हरे रंग के होते हैं। फल भूरे रंग का और स्वाद कसैला होता है। रुद्राक्ष वृक्ष अधिकतर इंडोनेशिया, नेपाल, भारत, जावा, सुमात्रा, बाली और ईरान, में पाये जाते हैं। एक अनुमान के अनुसार लगभग 65 प्रतिशत रुद्राक्ष वृक्ष इंडोनेशिया में, 25 प्रतिशत नेपाल में और 5 प्रतिशत भारत में पाये जाते हैं। रुद्राक्ष के जन्म की कथा धार्मिक गं्रथ 'देवी भागवत पुराणÓ के अनुसार जब सभी देवता त्रिपुरासुर नामक राक्षस के अत्याचारों से दुखी हो गये तो वे मदद के लिये भगवान शिव के पास पंहुचे। शिव तो सभी की मदद के लिये अग्रसर रहते हैं तो उन्होने त्रिपुरासुर का वध करने के लिये रूद्र (क्रोध) का रूप धरा और उसका अंत किया। तत्पश्चात शिव कुछ समय के लिये अंर्तध्यान हो गये और जब उन्होने अपनी कमल समान आंखें खोली तो उनमें से कुछ आंसू धरती पर गिर गये। बाद में वे ही आंसू रुद्राक्ष के वृक्ष बन कर उभरे। रत्नों से भिन्न रुद्राक्ष शास्त्र कहते हैं कि कितने भी मुख वाला रुद्राक्ष पहना जा सकता है। ये रत्नों की तरह से हानि नहीं पंहुचाते क्योंकि रुद्राक्ष कभी भी ऋणात्मक ऊर्जा उत्सर्जित नहीं करते। रत्नों को तो किसी सुयोग्य ज्योतिषी से ही सलाह लेकर पहना जा सकता है क्योंकि गलत रत्न पहनने से लाभ की जगह हानि भी हो सकती है जबकि आमतौर पर रुद्राक्ष को कोई भी व्यक्ति कभी भी धारण कर सकता है। किसी भी रत्न की माला से रुद्राक्ष माला अधिक पवित्र, शुभ व शक्तिशाली होती है। रुद्राक्ष की कार्यप्रणाली प्रत्येक इंसान की अपनी अपनी 'ओराÓ (ऊर्जा क्षेत्र) होती है जो उसके शरीर के चारो ओर 2 से 4 इंच तक की परिधि में रहती है। यह इंसान की आत्मिक ऊर्जा को दर्शाती है। यह अपने अंदर इंद्रधनुष के सभी रंग समेटे होती है। यही ऊर्जा व रंग ही इंसान के स्वभाव, गरिमा, मानसिक स्थिति, भावनाओं, इच्छाओं आदि के बारे में संकेत देते हैं। यह ओरा अंगुठे की छाप की तरह होती है जो कि प्रत्येक इंसान की अपनी अलग होती है और यह बताती है कि इंसान अपने आप में पूर्ण रूप से क्या है। यह माना जाता है और अब तो सिद्ध भी हो गया है कि रुद्राक्ष की अपनी कुछ खास चुंबकीय और विद्युतीय तरंगें होती हैं। जब कोई व्यक्ति रुद्राक्ष को दिल के पास पहनता है तो उसमें से कुछ विशेष रश्मियां या किरणें निकलती हैं जिनकी गुणवत्ता रुद्राक्ष के मुखों के अनुसार होती हैं। ये किरणें ही उस व्यक्ति के दिमाग के तंतुओं और कोशिकाओं को प्रभावित कर उसकी ओरा को पवित्र और शुद्ध रखने में मदद करती हैं। मेडिकल सांइस में भी यह बात सिद्ध हो चुकी है कि रुद्राक्ष में ऐंटी ऐजिंग गुण होते है जो उसकी डायनेमिक पोलेरिटी के कारण होते हैं। इसी कारण रुद्राक्ष की हीलिंग शक्ति किसी भी चुंबक आदि से अधिक होती हैं। रुद्राक्ष को किसी धातु विशेष जैसे कि सोने, चांदी या कॉपर के साथ भी पहना जा सकता है जो कि रुद्राक्ष की चुंबकीय व विद्युतीय गुणों को और अधिक बढ़ा सकते हैं। 

विभिन्न मुखी रुद्राक्ष के गुण
शास्त्रों में 1 से 32 मुखी तक के रुद्राक्ष की बात की गई है लेकिन ज्योतिषीय दृष्टि से 1 से 14 मुखी तक के रुद्राक्ष ही उपयोग में लाये जाते हैं। 32 मुखी तक के रुद्राक्ष आसानी से मिलते भी नहीं हैं। केवल 14 मुखी तक के रुद्राक्ष ही आसानी से मिल पाते हैं। कभी कभी 16 या 18 मुखी रुद्राक्ष भी उपलब्ध हो जाता है। लंकापति रावण द्वारा लिखे गये एक ग्रंथ में 108 मुखी तक के रुद्राक्ष होने की बात कही गयी है। परंतु यह ग्रंथ भी सुलभता से उपलब्ध नहीं है। प्राचीन पांडुलिपि 'रुद्राक्ष कल्पÓ में भी 108 मुखी रुद्राक्ष का वर्णन आता है। जन्मकुंडली देख कर ही यह निष्चय किया जाता है कि जातक को कितने मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिये। 

21 February 2016

राशि के अनुसार रत्न और रुद्राक्ष

मेष राशि का स्वामी ग्रह मंगल माना जाता है। भगवान श्री गणेश को मेष राशि का आराध्य देव माना जाता है। 
शुभ रत्न: मूंगा, शुभ रुद्राक्ष: तीन मुखी रुद्राक्ष,

वृषभ का राशि का स्वामी ग्रह शुक्र है। इस राशिवालों के लिए शुभ दिन शुक्रवार और बुधवार होते हैं। कुलस्वामिनी को वृषभ राशि का आराध्य माना जाता है। 
शुभ रत्न: हीरा, शुभ रुद्राक्ष: छह मुखी रुद्राक्ष,

मिथुन राशि का स्वामी ग्रह बुध होता है। इस राशि के जातक बेहद समझदार होते हैं। मिथुन राशि के आराध्य देव कुबेर होते हैं। 
शुभ रत्न: पन्ना, शुभ रुद्राक्ष: चार मुखी रुद्राक्ष,

कर्क राशि का स्वामी ग्रह चंद्रमा है। भगवान शंकर को कर्क राशि का आराध्य देव माना जाता है। 
शुभ रत्न: मोती, शुभ रुद्राक्ष: दो मुखी रुद्राक्ष,

सिंह राशि का स्वामी ग्रह सूर्य है। इस राशि के लोग किसी के सामने झुकना नहीं पसंद नहीं करते हैं। सिंह राशि के आराध्य देव भगवान सूर्य होते हैं। 
सिंह राशि के लिए शुभ रत्न: माणिक्य, शुभ रुद्राक्ष: एक मुखी रुद्राक्ष,

कन्या राशि के जातक बेहद धार्मिक प्रवृत्ति के होते हैं। मान्यता है कि कन्या राशि के आराध्य देव कुबेर जी होते हैं।  शुभ रत्न: पन्ना, शुभ रुद्राक्ष: चार मुखी रुद्राक्ष,

तुला राशि के जातक भोले स्वभाव के होते हैं। कुलस्वामिनी को तुला राशि का आराध्य माना जाता है। 
शुभ रत्न: हीरा, शुभ रुद्राक्ष: छह मुखी रुद्राक्ष,

वृश्चिक राशि का स्वामी ग्रह मंगल है। वृश्चिक राशि के जातकों के आराध्य देव गणेश जी होते हैं। 
शुभ रत्न: माणिक्य, शुभ रुद्राक्ष: तीन मुखी रुद्राक्ष,

 धनु राशि का स्वामी ग्रह "गुरु" को माना जाता है। धनु राशि के आराध्य देव "दत्तोत्रय" होते हैं।
शुभ रत्न: पुखराज, शुभ रुद्राक्ष: पांच मुखी रुद्राक्ष,

मकर राशि का स्वामी ग्रह शनि होता है। भगवान शनि देव और हनुमान जी को मकर राशि का आराध्य देव माना जाता है। 
शुभ रत्न: नीलम, शुभ रुद्राक्ष: सात मुखी रुद्राक्ष,

कुंभ राशि के जातक बेहद गुस्सैल किस्म के होते हैं। भगवान शनि देव और हनुमान जी को कुंभ राशि का आराध्य देव माना जाता है। 
शुभ रत्न: नीलम, शुभ रुद्राक्ष: सात मुखी रुद्राक्ष,

मीन राशि के जातक बेहद शांत स्वभाव के और मेहनती होते हैं। मीन राशि के आराध्य देव "दत्तोत्रय" होते हैं। 
शुभ रत्न: मूंगा, शुभ रुद्राक्ष: पांच मुखी रुद्राक्ष,

30 January 2016

उच्च रक्त चाप निवारण कवच

इस उच्च रक्त चाप निवारण कवच का निर्माण  दो 5 मुखी रुद्राक्ष और एक 6 मुखी रुद्राक्ष प्राण प्रतिष्ठा कर के किया गया है इस कवच को बहुत लोगो ने धारण किया है और उनको लाभ हुआ है।

22 January 2016

Om rudraksha om

रुद्राक्ष की खासियत यह है कि इसमें एक अनोखे तरह का स्पदंन होता है। जो आपके लिए आप की ऊर्जा का एक सुरक्षा कवच बना देता है, जिससे बाहरी ऊर्जाएं आपको परेशान नहीं कर पातीं।

03 January 2016

जन्म लग्न के अनुसार रुद्राक्ष धारण

जन्म लग्न के अनुसार रुद्राक्ष धारण
भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रत्न धरण करने
के लिए जन्म लग्न का उपयोग सर्वाधिक प्रचलित है ।
रत्न प्रकृति का एक अनुपम उपहार है। आदि काल से
ग्रह दोषों तथा अन्य समस्याओं से मुक्ति हेतु
रत्न धारण करने की परंपरा है।आपकी कुंडली के
अनुरूप सही और दोषमुक्त रत्न धारण
करना फलदायी होता है। अन्यथा उपयोग करने पर यह
नुकसानदेह भी हो सकता है। वर्तमान समय में शुद्ध
एवं दोषमुक्त रत्न बहुत कीमती हो गए हैं, जिससे वे
जनसाधारण की पहुंच के बाहर हो गए हैं। अतः विकल्प
के रूप में रुद्राक्ष धारण एक सरल एवं सस्ता उपाय
है। साथ ही रुद्राक्ष धारण से कोई नुकसान
भी नहीं है, बल्कि यह किसी न किसी रूप में जातक
को लाभ ही प्रदान करता है। क्योंकि रुद्राक्ष पर
ग्रहों के साथ साथ देवताओं का वास माना जाता है।
कुंडली में त्रिकोण अर्थात लग्न, पंचम एवं नवम भाव
सर्वाधिक बलशाली माना गया है। लग्न अर्थात जीवन,
आयुष्य एवं आरोग्य, पंचम अर्थात बल, बुद्धि,
विद्या एवं प्रसिद्धि, नवम अर्थात भाग्य एवं धर्म।
अतः लग्न के अनुसार कुंडली के त्रिकोण भाव के
स्वामी ग्रह कभी अशुभ फल नहीं देते, अशुभ स्थान पर
रहने पर भी मदद ही करते हैं । इसलिए इनके रुद्राक्ष
धारण करना सर्वाधिक शुभ है। इस संदर्भ में एक
संक्षिप्त विवरण यहां तालिका में प्रस्तुत है।
हमने कई बार देखा है कि कुंडली में शुभ-योग मौजूद
होने के बावजूद उन योगों से संबंधित ग्रहों के रत्न
धारण करना लग्नानुसार अशुभ होता है। उदाहरण के रूप
में मकर लग्न में सूर्य अष्टमेश हो, तो अशुभ और
चंद्र सप्तमेश हो, तो मारक होता है। मंगल चतुर्थेष-
एकादषेष होने पर भी लग्नेष शनि का शत्रु होने के
कारण अशुभ नहीं होता। गुरु तृतीयेश-व्ययेश होने के
कारण अत्यंत अशुभ होता है। ऐसे में मकर लग्न के
जातकों के लिए माणिक्य, मोती, मूंगा और पुखराज
धारण करना अशुभ है। परंतु यदि मकर लग्न
की कुंडली में बुधादित्य ,गजकेसरी,
लक्ष्मी जैसा शुभ योग हो और वह सूर्य, चंद्र, मंगल
या गुरु से संबंधित हो, तो इन योगों के शुभाशुभ
प्रभाव में वृद्धि हेतु इन ग्रहों से संबंधित
रुद्राक्ष धारण करना चाहिए, अर्थात गजकेसरी योग
के लिए दो और पांच मुखी, लक्ष्मी योग के लिए
दो और तीन मुखी और बुधादित्य योग के लिए चार और
एक मुखी रुद्राक्ष।रुद्राक्ष ग्रहों के शुभफल सदैव
देते हैं परंतु अशुभफल नहीं देते।
लग्न त्रिकोणाधिपति ग्रह लाभकारी रुद्राक्ष
मेष मंगल-सूर्य-गुरु ३ मुखी + 1 या १२ मुखी + ५ मुखी
वृषश् शुक्र-बुध-षनि ६ या १३ मुखी + ४ मुखी + ७
या १४ मुखी
मिथुन बुध-षुक्र-षनि ४ मुखी + ६ या १३ मुखी + ७
या १४ मुखी
कर्क चंद्र-मंगल-गुरु २ मुखी + ३ मुखी + ५ मुखी
सिंह सूर्य-गुरु-मंगल 1 या १२ मुखी + ५ मुखी + ६
मुखी
कन्या बुध-षनि-षुक्र ४ मुखी + ७ या १४ मुखी + ६
या १३ मुखी
तुला शुक्र-षनि-बुध ६ या १३ मुखी + ७ या १४ मुखी + ४
मुखी
वृष्चिक मंगल-गुरु-चंद्र ३ मुखी + ५ मुखी + २ मुखी
धनु गुरु-मंगल-सिंह ५ मुखी + ३ मुखी + 1 या १२ मुखी
मकर शनि-षुक्र-बुध ७ या १४ मुखी + ६ या १३ मुखी + ४
मुखी
कुंभ शनि-बुध-षुक्र ७ या १४ मुखी + ४ मुखी + ६ या १३
मुखी
मीन गुरु-चंद्र-मंगल ५ मुखी + २ मुखी + ३ मुखी ::::संपर्क :09009371152

31 December 2015

Indonesia Rudraksha

एक मुखी इंडोनेशिया रुद्राक्ष से चौदह मुखी इंडोनेशिया रुद्राक्ष और गौरीशंकर रुद्राक्ष गणेश रुद्राक्ष फ़ोटो

28 December 2015

गणेश रुद्राक्ष | Ganesha Rudraksha

गणेश रुद्राक्ष भगवान श्री गणेश जी का प्रतिनिधित्व करता है. इस रूद्राक्ष की आकृति भी गणेश जी के जैसी प्रतीत होती है. इस लिए इस रुद्राक्ष पर सुंड के समान एक उभार भी होता है, यह रुद्राक्ष धारण करने से समस्त विघ्नों का नाश होता है तथा धन संपत्ति की प्राप्ति होती है. गणेश रुद्राक्ष को धारण करने से भगवान गणपति जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इनके सानिध्य को पाकर व्यक्ति अपनी सभी समस्याओं से मुक्त हो जाता है और सभी प्रकार के सुखों को भोगता हुआ अंत में मोक्ष को प्राप्त करता है.

बुद्धि ज्ञान को बढाने वाला यह रुद्राक्ष अच्छी कार्य क्षमता प्रदान करता है. इस रुद्राक्ष को पूजा स्थान में रखकर नियमित रुप से इसकी पूजा अर्चना करने से आपके सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं तथा अनेक मार्ग स्वत: ही खुल जाते हैं. भाग्य बढ़ाता है और सभी प्रयासों में सफलता मिलती है.

गणेश रुद्राक्ष का मंत्र | Ganesha Rudraksha Mantra


'ॐ गणेशाय नमः ',
' ॐ हुम नमः

जो व्यक्ति अपने कार्यों में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं उन्हें गणेश रुद्राक्ष को धारण करना चाहिए उन सभी जो एक नए उद्यम की शुरुआत कर रहे हैं वह भी इसे धारण करें तो उन्हें अपने व्यवसाय में भरपूर सफलता प्राप्त होगी.

गणेश रुद्राक्ष लाभ | Benefits of Ganesha Rudraksha

भगवान गणेश का स्वरूप यह रुद्राक्ष सभी कलेशों का शमन करने वाला होता है. इस रुद्राक्ष को देखने पर प्रतीत होता है की इस रुद्राक्ष पर भगवान गणेश की आंशिक आकृति उभरी हुई है इसकी सतह पर बनी हुई सुंडनूमा आकृति से यह रुद्राक्ष गणेश भगवान का रूप दिखता है. विशेष फलदायी यह रुद्राक्ष कई समस्याओं का समाधान स्वत: ही कर देता है. इसे गणेश चतुर्थी के दिन धारण किया जाए तो यह और भी शुभ फलदायक होता है. गणेश रुद्राक्ष धारण से यह लाभ होते हैं.

गणेश रुद्राक्ष को सोमवार के दिन धारण करना चाहिए इसे लाल धागे या सोने अथवा चांदी में धारण कर सकते हैं.

प्राचीन वैदिक ग्रंथों के अनुसार यह पवित्र रूद्राक्ष सकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करता है. गणेश रूद्राक्ष पहने हुए एक व्यक्ति को जीवन के सभी क्षेत्रों में से सफलता प्राप्त होती है. भगवान गणेश का आशीर्वाद मिलता है. व्यक्ति के जीवन में सभी बाधाओं को भगवान गणेश के आशीर्वाद से निवारण हो जाता है. भगवान गणेश भगवान शिव के पुत्र हैं इसलिए भगवान शिव का और देवी पार्वती (महा देवी) जी का भी आशिर्वाद प्राप्त होता है. केतु के हानिकर प्रभावों को भी भगवान का आशीर्वाद दूर कर देता है.

गणेश रुद्राक्ष के स्वास्थ्य लाभ | Health benefits of Ganesha Rudraksha

गणेश रुद्राक्ष स्मरण शक्ति व एकाग्रता बढ़ाता है, लेखन कौशल को बेहतर बनाता है,  भगवान गणेश बुद्धि के देवता है इसलिए यह रुद्राक्ष भी बुद्धि को बढ़ाता है, शिक्षा और बुद्धि के कारक ग्रह बुध को अनुकूल करता है, मानसिक समस्याओं का निराकरण करता है।

गौरी शंकर रुद्राक्ष | Gauri Shankar Rudraksha

गौरी शंकर रुद्राक्ष माता पार्वती एवं भगवान शिव का प्रतीक है जैसा क नाम से ही स्पष्ट होता है कि यह रुद्राक्ष शिव पार्वती जी की एक अदभुत संगम का रुप है. इसे धारण करने से सभी प्रकार के दांपत्य सुखों की प्राप्ति होती है. जीवन साथी रुप में यह रुद्राक्ष पति -पत्नी के रिश्ते को प्रगाढ़ बनाता है तथा उनमें एकात्म का भाव जागृत करता है. दांपत्य सुख एव्म शांति के लिए गौरी शंकर रुद्राक्ष को सर्वश्रेष्ट माना जाता है.  यह अंतर्दृष्टि को विकसित करने के लिए उपयोगी है हमारे स्वयं की कमी को पहचानने में तथा अपनी कमियों को दूर करने में मदद करता है,

प्राकृतिक रूप से युग्म रुप में जुडा़ हुआ यह रुद्राक्ष शिव और शक्ति के मिलन रुप का यह अमूल्य रुद्राक्ष भक्ति एवं आस्था का उत्तम रुप है. इस रुद्राक्ष को उपयोग में लाने से भगवान शिव और माता पार्वती जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है. गौरी शंकर रुद्राक्ष मोक्ष प्राप्ति में भी लाभदायी है. इस रुद्राक्ष को तिजोरी में रखें किसी भी प्रकार की कोई आर्थिक क्षति नहीं होगी, आप उन्नति प्राप्त कर सकेंगे. यह रुद्राक्ष पूजा घर में रखना अत्यंत उत्तम होता है.

गौरी शंकर रुद्राक्ष एक दुर्लभ रुद्राक्ष है. यह विशेष रूप से एक ओर मां गौरी का प्रतिनिधित्व करता है और अन्य भगवान शंकर का प्रतिनिधित्व करता है. यह रुद्राक्ष बनाता है परिवार में शांति और सुख के लिए सबसे अच्छा माना जाता है. इस रुद्राक्ष का पूजन दर्द और पीड़ा और अन्य सांसारिक बाधाओं को नष्ट कर देता है. जिनके विवाह में अनावश्यक विलम्ब हो रहा हो, उन्हें इस रुद्राक्ष को अवश्य धारण करना चाहिए.

भगवान शिव और देवी के एकीकृत रूप की पहचान यह रुद्राक्ष ब्रह्मांड के विकास और विस्तार का कारण बनता है. इसलिए यह माना जाता है कि परिवार में शांति और आराम के लिए यह सबसे अच्छा है. प्राचीन ग्रंथों में इसका उल्लेख है कि यह रुद्राक्ष पुण्य (अच्छा कर्म) देय है. पुराणों में गौरी शंकर रुद्राक्ष को पारिवारिक जीवन के लिए सबसे अच्छा माना जाता है. यह रुद्राक्ष सात्विक प्रकृति को इंगित करता है, सर्वसिद्धिदायक तथा मोक्ष दायक माना गया है.

गौरी शंकर रुद्राक्ष का मंत्र | Gauri Shankar Rudraksha Mantra

ॐ गौरीशंकराय नमः ,
ॐ नमः शिवाय

सत्तारूढ़ भगवान देवी गौरी और भगवान शंकर हैं इस रुद्राक्ष को सोमवार के दिन प्रात:काल स्वच्छ होकर शुद्ध मन से प्रभु का स्मरण करें तत्पश्चात इस गौरी श्म्कर रुद्राक्ष को मंत्र द्वारा अभिमंत्रित करके सोने, चांदी या धागे में डालकर धारण करें

अपने पूजा स्थान पर गौरी शंकर को रखें व पूजन करें. दर्द और पीड़ा और अन्य सांसारिक बाधाओं को नष्ट करने में सहायक यह

गौरी शंकर रूद्राक्ष बुरे सपनों एवं बुरी ताक़तों से मुक्त करता है

गौरीशंकर रूद्राक्ष पहनने से रिश्तों में मज़बूती आती है. यह परिवार के रिश्तों को बढ़ाता है. उन सभी के लिए जो एक सुखी विवाहित जीवन और परिवार में सुख और शांति का वास चाहते हैं उन सभी के लिए यह अमूल्य रुद्राक्ष है. धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष को प्रदान करता है.

स्वास्थ्य लाभ | Swasthya Labh

यौन समस्याओं को दूर करने में यह बहुत फ़ायदेमंद होता है , मानसिक शांति प्रदान करता है . तथा अन्य शारीरिक कष्टों को दूर करने में सहायक है निसंतान को सुयोग्य संतान का आशीर्वाद मिलता है. दिर्घायु प्रदान करता है.

चौदह मुखी रुद्राक्ष | Chaudah Mukhi Rudraksha

चौदह मुखी रुद्राक्ष | Chaudah Mukhi Rudraksha

चौदह मुखी रुद्राक्ष को शिव के अवतार भगवान हनुमान जी का स्वरूप माना गया है. चतुर्दशमुखी को शिखा पर धारण करने से व्यक्ति को परम पद की प्राप्ति होती है. रुद्राक्ष में भगवान हनुमान का निवास होने के कारण कोई भी बुरी बाधा,  भूत, पिशाच  व्यक्ति को नुकसान नहीं पहुँचा पाती, व्यक्ति निर्भय होकर रहता है.  चौदह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से शक्ति सामर्थ्य एवं उत्साह का वर्धन होता है और संकट समय संरक्षण प्राप्त होता है.

चौदह मुखी रुद्राक्ष लाभ | Benefits of Chaudah Mukhi Rudraksha

चौदह मुखी रुद्राक्ष को धारण करके व्यक्ति भगवान शिव का सानिध्य प्राप्त करता है. चौदह मुखी रुद्राक्ष का धारण कर्ता सुख एवं शांति प्राप्त करता है. सन्यासी वाम मार्गी एवं शिव शक्ति के भक्त इसे धारण करते हैं. इस रुद्राक्ष को धारण करने से साधना सिद्ध होती है. चौदहमुखी रुद्राक्ष परमदिव्य ज्ञान प्रदान करने वाला होता है. इसे धारण करने से देवों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

14 मुखी रुद्राक्ष सुखदायक होता है. यह रुद्राक्ष चौदह विद्याओं, चौदह लोकों तथा चौदह इंद्रों का स्वरूप भी कहा गया है. शनि साढ़े साती, महादशा या शनि पीड़ा से मुक्ति हेतु इस रुद्राक्ष को धारण करना चाहिए यह शनि तथा मंगल के अशुभ प्रभावों से मुक्ति दिलाता है. चौदह मुखी रुद्राक्ष की पूजा सुख-सौभाग्य प्रदान करने वाली है. 14 मुखी रुद्राक्ष व्यक्ति को ऊर्जावान, निरोगी बनाता है.

चौदह मुखी रुद्राक्ष मंत्र | Chaudah Mukhi Rudraksha Mantra

चौदह मुखी रुद्राक्ष के लिए “ॐ नमः शिवाय” का जाप मंत्र है इस मंत्र को जपते हुए इसे धारण करें.

स्वास्थ्य लाभ | Health Benefits of Chaudah Mukhi Rudraksha

यह समस्त रोगों का शमन करने वाला, समस्त व्याधियां को शांत करने वाला है. इसे धारण करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है. तथा वंश रक्षक है, छटी इन्द्रिय जागृत कर होने वाली घटनाओं का बोध कराता है. दुर्घटना, चिंता से मुक्त करके सुरक्षा एवं समृद्धि प्रदान करता है.  चौदह मुखी रुद्राक्ष सौभाग्य में वृद्धि करता है. यह चौदह विद्या, चौदह लोकों , चौदह मनु, का रूप है. इस चमत्कारी रुद्राक्ष में अनंतगुण विधमान हैं. इसका धारणकर्ता समस्त सुखों को भोगता है. चौदह भुवनों का रक्षक एवं स्वामी बनता है, चौदहमुखी रुद्राक्ष बहु उपयोगी है.

तेरह मुखी रुद्राक्ष | Terah Mukhi Rudraksha

तेरह मुखी रुद्राक्ष समस्त कामनाओं की पूर्ति करता है  तथा दांपत्य जीवन को सुखद एवं ख़ुशियों  से भरपूर बनाता है. इच्छा भोगों की प्राप्ति होती है. 13 मुखी रुद्राक्ष को कामदेव का स्वरूप माना गया है. यह सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाला है. इसे धारण करने से कामदेव व रति का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इसे धारण करने से वशीकरण और आकर्षण का गुण भी मिलता है.

इसका उपयोग करने से व्यक्ति अनेक सिद्धियों का ज्ञाता होता है. धन ,रस - रसायन की सिद्धियां एवं सुख भोग प्राप्त होते हैं. इस रुद्राक्ष में कामदेव एवं रति का निवास है, इस कारण ये रुद्राक्ष धारण करने से वैवाहिक जीवन की समस्त ख़ुशियाँ प्राप्त होती हैं. साधु, तपस्वी और योगीजन तेरहमुखी रुद्राक्ष की आध्यात्मिक उपलब्धियों हेतु इसे धारण करते हैं.

तेरह मुखी रुद्राक्ष के लाभ | Benefits of Terah Mukhi Rudraksha

तेरह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से मनुष्य राजसी मान सम्मान पाता है. तेरह मुखी रुद्राक्ष इच्छाओं और सिद्धि को देने वाला है, यह पापों से मुक्ति देता है. त्रयोदशमुखी रुद्राक्ष को विश्वेश्वर भगवान का रूप माना गया है. यह अर्थ एवं सिद्धियों को पूर्ण करता है. मान-सम्मान और कीर्ति देने वाला यह रुद्राक्ष शारीरिक सुंदरता को बढ़ाता है तथा व्यक्तित्व को आकर्षक बनाता है. स्त्री पुरूष दोनों को रुप गुण प्रदान करता है. लक्ष्मी प्राप्ति में अत्यंत उपयोगी यह रुद्राक्ष धारक को धन संपदा से युक्त कर देता है. इन्द्र का स्वरुप भी माना गया है. इस रुद्राक्ष से वशीकरण, आकर्षण, ऐश्वर्य प्राप्त होता है. उच्च पद प्राप्ति, सम्मान में वृद्धि दिलाता है.

तेरह मुखी रुद्राक्ष से स्वास्थ्य लाभ | Health Benefits of Terah Mukhi Rudraksha

तेरह मुखी रुद्राक्ष शरीर के आंतरिक रोगों को दूर करने में सहायक होता है. ज्योतिष अनुसार यह रुद्राक्ष शुक्र ग्रह के समान होता है. यह रुद्राक्ष निसंतान को संतान प्रदान करने वाला होता है. तेरह मुखी रुद्राक्ष चर्म संबंधित रोगों को भी दूर करने में बहुत फ़ायदेमंद है.

तेरह मुखी रुद्राक्ष मंत्र | Terah Mukhi Rudraksha Mantra

ॐ ह्रीम नमः

इसे “ॐ ह्रीं हुम नमः का जाप करके धारण करना चाहिए.